जब भी उदासी आती है,
आ जाती हो एक सर्द बयार की तरह..
बच्चों सा झूम उठता हूँ मैं,
भूल के सारी उदासी ..
लौट आती है , वो खिलखिलाती हँसी !
कुछ पलों के लिए यकीन नहीं होता की ,
मेरे सपनों को छोड़ ,
किसी और के सपनों मे शामील हो तुम …
तभी दूसरे पल ,
यादों के बादल बरस पड़ते हें …
और फिर वही सिलसिला यादों का ,
हमेशा झुठलाती रहती हैं मुझे,,,,,,,,,
दीपेश की कलम से…
Monday, June 16, 2014 |
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