बड़ी अजीब और उदास से दास्ताँ है
हम जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनीयरों की ..
इस मायावी दुनिया में आये थे
बड़े बड़े सपने लेकर..
हमेशा कहते रहते थे खुद से
" हम पंखों से नहीं , हौसलों से उड़ा करते हैं "
पर जब सपनों का सामना
हुआ सच्चाई से
पिघल गयी हौसलों की बर्फ ..
बस दिल से निकली एक गुहार ..
कौन बचाये इन सॉफ्टवेयर के जल्लादों से...!
आओ अतीत पे थोड़ा नजर फिराएं
चलो थोड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज के दिन याद कर आयें..
अभी तो मेहंदी भी नहीं सूखी है इंजीनियरिंग के नाम की
फिर भी क्यूँ बिखर रहे ये सपने ?
मिलती रोज नयी डेडलाइन..
आँखें पथरा गयी बग ढूडते ढूडते
फिर भी प्रोजेक्ट मँनेजर को दया ना आयी
बाँध दिया हमें इलेक्ट्रोनिक्स अटेंडएनस के बंधन में
छीन गयी अपने वो आज़ादी .
बस दिल से निकली एक गुहार ..
कौन बचाये इन सॉफ्टवेयर के जल्लादों से...!
उलझती जा रही ज़िन्दगी नित्य बदलते टेक्नालजी में
कभी सर्टिफिकेशन तो कभी नयी ट्रैनिंग में..
लुट लिया बस्ती हमारे अरमानों की...
बस दिल से निकली एक गुहार ..
कौन बचाये इन सॉफ्टवेयर के जल्लादों से...!
..... दीपेश की कलम से...!
Wednesday, July 21, 2010 |
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Comments (13)
Hi friends...
बहुत दिन बाद वापसी हुए है मेरी इस कविता की दुनिया में... यह कविता दिल से निकली है..बहुत से लोगों को उलझते देखा है मैंने इस सॉफ्टवेर की दुनिया में...ये कविता भले हे निराशा से निकली हो पर इसका असली मकसद है कुछ नया करने का..कुछ बड़ा करने का.. अटल जी की लिनेस याद आती हैं ..
है अँधेरी रात पर दिया जलना कब मना है... !
would love too see ur comments..!
Well said!!!
“I invented it, Bill made it famous.”
David Bradley (wrote the code for Ctrl-Alt-Delete on the IBM PC) -- this is the only way it goes on here, you work other will reap.. If ever you get a chance, run, run, run... from computer and keyboards!!!
bilkul sach likhe ho yaara...gud work
सही है दीपेश. कभी ये सोच के दिल घबरा जाता है के आगे का future क्या होगा . क्या और पढना चाहिए. MBA करू या M .Tech या कुछ certifications फिर लगता है PSU में जाऊ , यही प्रोफाइल बनू या technology change करू.
बहुत से सवाल मन को झकझोर देती है. इसलिए तो अब सोचने की शक्ति भी जाती रही. जो ट्रेंड दिखा उसी को फोल्लो करना सिख गए.
जो भी हो इंजिनियर होने का अपना कुछ फायदा है तो कुछ घाटा भी. IT field इसी का नाम है. पैसा बहुत है but लाइफ unstable है. मजा बहुत है but लाइफ बोरिंग है .
फिर भाई यही कहेंगे के यास्त और वेस्ट IT is the बेस्ट :)
bhai dil ki baat likh diye tum to.....
Dil se nikli hai...software ke jalladon tak nahi pahunch payegi Deepesh. UNKE to mar chuke sare emotions aur feelings, ab bari HAMARI hai...Career ke shuruaat me aise aise khyal aayenge to anjaam kya hoga. khair, Anjaam to chalte chalte pata chalta hai...Lines bahut hi achhe likhe hain tumne.
koi nahi bachaa sakta....in jallado se.. :)
Good to see that u are back . i would to tell one word for IT field that is "MRIGTRISHNA" . And one filmy dialog too .... jo tum dekhte ho wo asli nahin hai ....
Nice poem dude!! Precisely thats the reason why I, despite being a computer science engineer never worked in a s/w company.. gud decision.. :D.. Keep it up..
Hmmm.... If I havn't read these, It was never possible to meet real Deepesh. Excellent hobby Deepesh, never ever stop this...
lagta hain dil sae likhe hoo....dil kii gaherai jhalak rahi hain....this is really good one....:)
Good one ....... keep going
hahahhaha chalo softy engii ki life ke baare mein pata to chala....
good one