ज़माने ने ऐसा छला
है भावनाओं को
कि टूट गयी है
कमर आस्थाओं की..
ज़माने ने ऐसा छला है ....
अधर्म की कुछ चली है
ऐसी लहर कि
डूबती जा रही है
किश्ती मानवता की
हे मनुपुत्र..
बचा लो किश्ती
इस मानव की
दिला दो इसे स्वर्गगति....!!
लेखक : दीपेश कुमार ` जननायक `
है भावनाओं को
कि टूट गयी है
कमर आस्थाओं की..
ज़माने ने ऐसा छला है ....
अधर्म की कुछ चली है
ऐसी लहर कि
डूबती जा रही है
किश्ती मानवता की
हे मनुपुत्र..
बचा लो किश्ती
इस मानव की
दिला दो इसे स्वर्गगति....!!
लेखक : दीपेश कुमार ` जननायक `
Friday, January 29, 2010 |
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