जब भी नजरें फिराता हूँ , बचपन की तस्वीरों पे
सहसा , आँखों में आँसूं आ ही जाते हैं ..!
कितने हसीन दिन थे वो ,
आँखों में बस सच्चाई ही बसती थी .. !
पल में रोना , पल में हँसना
पर गिले शिकवों का नामो-निशान ना होना ...!
आज खेल - खेल में हुई लड़ाई ,
पर कल फिर वही गले-लगाई...!
वो बारिश की बूंदों का हथेली पे सिमटना ,
कागज़ के नावों का उलटना - पलटना ..!
वो घुटनों का छिलना,
पर हाँ - ना के भँवर से दिल का ना दुखना ..!
वो खीलौनो का टूटना - फूटना ,
पर सपनों का रोज सजना - सवरना...!
वो बचपन की तस्वीर का फिर से उभरना ,
आँसुओं का आना जाना , फिर से बचपन का ताना - बाना .. !
आँखों में आँसू , मुख पे हँसी लिए
ऑफिस को जाना , लुट चुकी बचपन के ख्वाबें सजाना ...!
वो बचपन की तस्वीर का फिर से उभरना ,
आँसुओं का आना जाना , फिर से बचपन का ताना - बाना .. !
दीपेश की कलम से....... !
Monday, March 28, 2011 |
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Comments (7)
Hello ,
आज फिर वापसी हुए कविता की दुनिया में मेरी ..! I am just back from my home-town and feel as if those memories are the catalyst behind this poem. दिल से लिखी हुई है ये कविता , उस बचपन की याद में जिसे हमने खो दिया है ! आशा है की आपको फिर से अपने बचपन की यादों में ले जाएगी...!
Please share your thoughts !
warm Regards ,
Deepesh
ye hamari yaadein hi hain jinko hum sanon kar rakh sakte hain.
Yaadon ke sahare hi to aaj bhi chehre pe hasi hai warna hasne ki waah hi nahi milti :D
Bachpan ki yaadeen, school, college ke kuch pal.....wahi sab to pricelss memories hain yaara
Deeepsh sach kaha, Bachpan ki yaadein anmol hi hoti hai...! Bahut achha likhe hai tumne :-)
Tumne sari bachpan samet li hai is poem ke jariye...Good work.. Go on
first time had a look of ur blog. u hav a very nice blog. i liked ur poem bachao in software k jallado se lol. bachpan ki yaade bahut innocent hoti hai jo hum hsmesha apne dil me sahej kar rakha karte hai. liked it :)
This is my first time here too.. loved the poem and you have a very nice blog..
wo bachpan hi tha bhai...
jab humne ice cream ke flavours
ko select karne mein..
apni aadhi se jyada dimag ladai