जब भी नजरें फिराता हूँ , बचपन की तस्वीरों पे
सहसा , आँखों में आँसूं आ ही जाते हैं ..!
कितने हसीन दिन थे वो ,
आँखों में बस सच्चाई ही बसती थी .. !
पल में रोना , पल में हँसना
पर गिले शिकवों का नामो-निशान ना होना ...!
आज खेल - खेल में हुई लड़ाई ,
पर कल फिर वही गले-लगाई...!
वो बारिश की बूंदों का हथेली पे सिमटना ,
कागज़ के नावों का उलटना - पलटना ..!
वो घुटनों का छिलना,
पर हाँ - ना के भँवर से दिल का ना दुखना ..!
वो खीलौनो का टूटना - फूटना ,
पर सपनों का रोज सजना - सवरना...!
वो बचपन की तस्वीर का फिर से उभरना ,
आँसुओं का आना जाना , फिर से बचपन का ताना - बाना .. !
आँखों में आँसू , मुख पे हँसी लिए
ऑफिस को जाना , लुट चुकी बचपन के ख्वाबें सजाना ...!
वो बचपन की तस्वीर का फिर से उभरना ,
आँसुओं का आना जाना , फिर से बचपन का ताना - बाना .. !
दीपेश की कलम से....... !
Monday, March 28, 2011 |
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