बरसेंगी उम्मीदें .. ?
या सो जायेंगे सपने सदा के लिए..
आकाश के ओर टिकी हैं निगाहें...
क्या फिर से बरसेंगी जीवन वाली बूँदें .. ?
या हमेशा के तरह बरसेंगे आकाश से अंगारे
जो जला देंगी मधुवन में जन्मे नन्ही कोपलों को ..
कोपलें तो फिर से फूटेंगी ..
पर जमीन में दफ़न उन सपनों का क्या होगा ...
क्या उनके हिस्से सिर्फ इतिहास होगा ,
या मिलेगी कुछ जमीन...
या सो जायेंगे सपने सदा के लिए..
आकाश के ओर टिकी हैं निगाहें...
क्या फिर से बरसेंगी जीवन वाली बूँदें .. ?
या हमेशा के तरह बरसेंगे आकाश से अंगारे
जो जला देंगी मधुवन में जन्मे नन्ही कोपलों को ..
कोपलें तो फिर से फूटेंगी ..
पर जमीन में दफ़न उन सपनों का क्या होगा ...
क्या उनके हिस्से सिर्फ इतिहास होगा ,
या मिलेगी कुछ जमीन...
सीचेंगी वसुंधरा फिर से इनको ,
फिर से उठ खरे होंगे ये सपने ..
फिर से बरसेंगी उम्मीदें ...
फिर से उठ खरे होंगे ये सपने ..
फिर से बरसेंगी उम्मीदें ...
... दीपेश की कलम से.. !
Saturday, January 07, 2012 |
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comments
Comments (3)
naya saal hai.. nayee umeedei hain.. fir se lauta hoon khwabaon kee duniya main.. ek prayas hai..
asha hai aapko pasand aaygi... aapke vicharon kee pratiksha main...!
Deepesh
Sahi kaha hai...Har insaan ki hoti hain kuch umeedein, Ummeedein jo hain to har koi jaaga hai. Ummeedein jo Zinda hai to sawaal aur Marne ke baad jawaab ban jati hain...!
nice thinking